Tuesday, March 18, 2014

विहिप का प्रतिनिधि मण्डल चुनाव आयोग से मिला




मुस्लिम तुष्टीकरण व आचार संहिता के उल्लंघन के विरुद्ध की शिकायत
    
नई दिल्ली मार्च 18, 2014। विश्व हिन्दू परिषद का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल आज भारत के चुनाव आयोग से मिला। यह प्रतिनिधि मण्डल यूपीए नीति केन्द्र सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति और चुनाव आचार संहिता के गंभीर उल्लंघन के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने हेतु गया था।
विहिप का कहना है कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने 5 मार्च, 2014 को एक अधिसूचना के द्वारा दिल्ली के महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित 123 सम्पत्तियों को वक्फ बोर्ड के हवाले करने का जो निर्णय लिया है वह न केवल अवैधानिक है अपितु, आदर्श चुनाव आचार संहिता का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन भी है। इन सम्पत्तियों में वायुसेना के वायरलैस स्टेशन व उप-राष्ट्रपति निवास में स्थित सम्पत्ति भी शामिल है। इनकी संवेदनशीलता पर भी विचार न करते हुए जिस अफरातफरी में यह अधिसूचना जारी की गई, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस आदेश का एक मात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करना है। इस वोट बैंक को लुभाने के लिए यह सरकार इतनी उतावली हो रही थी कि वह यह भी विचार नहीं कर पाई कि उसी दिन आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई थी और सरकार का यह निर्णय चुनाव आयोग के आदेश का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल के नेतृत्व में गए इस प्रतिनिधि मण्डल में संगठन के अंतर्राष्ट्रीय महा मंत्री श्री चंपत राय, केन्द्रीय मंत्री डा सुरेन्द्र जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक अग्रवाल, प्रान्त महा मंत्री श्री राम कृष्ण श्रीवास्तव व प्रान्त मीडिया प्रमुख श्री विनोद बंसल भी सामिल थे।
मुस्लिम वोट बैंक के लिए यह सरकार न्यायपालिका को तो धोखा देने की कोशिश करती ही रही थी, अब उन्होंने चुनाव आयोग को भी ठेंगा दिखाने की हिमाकत की है। विश्व हिंदू परिषद् ने इस सम्बंध में महामहिम राष्ट्रपति को भी एक पत्र लिखा था। किन्तु, उसका भी इस सरकार पर कोई प्रभाव न देखकर विहिप ने आज चुनाव आयोग से अपील की है कि आदर्श आचार संहिता की अवहेलना के  इस मामले में हस्तक्षेप कर इस अधिसूचना पर रोक लगाये, सत्तारूढ़ कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों की मान्यता रद्द करे और यह स्थापित कर दे कि भारत में अराजकता नहीं,  कानून का राज्य चलता है।
ये सभी सम्पत्तियां 1911 से 1915 के बीच में अधिगृहित की गई थीं। किन्तु, 1970 में दिल्ली वक्फ  बोर्ड ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए इन सभी सम्पत्तियों को वक्फ सम्पत्ति घोषित कर दिया। 1974 में भारत सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जिसकी अध्यक्षता वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष  को ही सौंपी गई। यह केवल अराजक देशों में ही देखने को मिलता है कि अपराधी को अपने अपराध की जांच खुद ही करने को कहा जाए। इस कमिटी ने भी लिखा कि दो सम्पत्तियों के स्थानों की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्हें वहां घुसने भी नहीं दिया गया। इस सब के बावजूद, कांग्रेस सरकार ने ये सभी सम्पत्तियां वक्फ के हवाले कर दीं। 1984 में विहिप-दिल्ली की अपील पर सुनवाई करते हुए इस आदेश पर मा.दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया था । इस मामले के आगे बढ़ने पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 12-01-11 को आदेश दिया कि "भारत सरकार इस मामले पर पुनर्विचार कर 6 माह में निर्णय ले और तब तक स्थगन आदेश लागू रहेगा।"
दो साल से भी अधिक  समय तक इस मामले पर सोती रही  यह सरकार चुनावों की सुगबुहाट पर जाग गई और न्यायपालिका के आदेश की अवहेलना करते हुए और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए देश की इन सम्पत्तियों  को वक्फ के हवाले कर दिया।  कांग्रेसनीत यूपीए सरकार यह तर्क दे रही है कि इन सम्पत्तियों का मुआवजा देकर अधिग्रहण करने वाली सरकार अंग्रेजो की थी तो मुस्लिम आक्रांताओं  द्वारा मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिद कुव्वत ऐ इस्लाम, कृष्ण जन्मभूमि व काशीविश्वनाथ मंदिर भी अविलम्ब हिंदू समाज के हवाले करना चाहिए। एक धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा हिंदू-मुस्लिम में भेदभाव करना न केवल असंवैधानिक है अपितु अनैतिक भी है।
विहिप ने आज चुनाव आयोग से अपील की कि त्वरित कार्यवाही करते हुए वह इस असंवैधानिक निर्णय पर रोक लगाए जिससे लोकतंत्र की रक्षा की जा सके। इसके अलावा विहिप की भारत के मतदाताओं से भी अपील है कि चंद वोटों के लिए देश बेचने वालों को आगामी चुनावों में ऐसा सबक सिखाएं कि फिर कोई हमारे लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ न कर सके।

VHP meets ECI for Violation of Model Code of Conduct by UPA



VHP meets ECI for Violation of Model Code of Conduct by UPA
New Delhi. March 18, 2014. A High level Delegation of Vishwa Hindu Parishad (VHP) today meets the Election Commission of India & complained him against Muslim appeasement policies of the UPA Govt. and violation of Model code of conduct.
The six member delegation lead by the international vice president shri Om Prakash Singhal, which comprised of the int’l secretary general shri Champat Rai, central secretary Dr. Surendra Jain, learned counsel shri Alok Agrawal, state secretary general shri Ram Krishna Srivastav & Media Chief shri Vinod Bansal, submits a memorandum to the ECI in this regard.
Issuing gazette notification no. SO661(E) by the Govt. of India to withdraw from acquisition of 123 Govt. properties in Delhi and surrendering them to Delhi Wakf board(DWB) on March 5, 2014 is not only un-constitutional but amounts to clear violation of the Model Code of conduct. Amongst the properties are (i) property in wireless station and (ii) the Vice-Presidential Estate. Ignoring the strategic importance of these properties, issuing this notification hurriedly, clearly shows that its main aim was to woo the Muslim voters, said VHP.
The UPA Govt. who usually ignored our judiciary, now dared to challenged the Election commission also. VHP also wrote to the President of Bharat in this regard. Today we appealed the election commission that for violation of Model code of conduct by the UPA Govt, not only this notification be withdrawn but also the Congress & its Govt. allies be debarred from fighting this general election.
All these properties were acquired for the new capital of Delhi in the years 1911-1915. As per the Govt. records, the acquisition was completed, possession taken and all these properties were put under the control and management of the DDA/L&DO. Even though, in 1970, exceeding its constitutional authorities, the DWB unilaterally declared these properties as Wakf properties. In 1974, when Govt. constituted a committee to investigate into the matter, the DWB chairperson was appointed as the chairman of the investigating Committee. This could not be seen anywhere in the world that culprit is being appointed as an investigator for the crime committed by himself. It is noteworthy, the Committee claimed that it was not allowed to enter into the two properties situated in protected areas. Even after all this, the Govt. handed over these properties to DWB, however on the petition of Indraprastha Vishwa Hindu Parishad, the High Court of Delhi had stayed the order in the same year 1984.After a long battle of 27 years, on Jan 12, 2011, the High Court ordered  that Govt. should rethink in the matter within six months and our stay order would be continued.
After two years of deep sleep, the Muslim Vote bank suddenly awakened the UPA Govt. and ignoring judicial order and violating Model Code of Conduct, all such properties were surrendered to DWB on the same day when the elections were declared. VHP today appealed the election commission to ban the notification and debar Congress & its Govt. allies from fighting these general elections. VHP appeals to the country to teach a lesson to all those, who are playing with our democracy & national interests, in greed of votes.