Monday, October 12, 2015

वैदिक संस्कृति के संवाहक - महाराज अग्रसेन



वैदिक संस्कृति के संवाहक - महाराज अग्रसेन
-विनोद बंसल

द्वापर युग के अन्त और कलयुग के प्रारम्भ में एक ऐसे महापुरुष का प्रादुर्भाव हुआ जिसने न सिर्फ़ भारत में एक गणतांत्रिक शासन व्यवस्था, उत्तम सिंचाई व्यवस्था, समाजवाद, समरसता व समानता का पाठ पढाया वल्कि सच्चे राम राज्य की स्थापना कर ऐसे संस्कारी पुत्र दिए जो आज भी पूरे विश्व का भरण पोषण कर अपना कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। विश्व का शायद ही कोई कोना होगा जहां की प्रगति और उन्नति में किसी अग्रवाल की भूमिका न हो। अपनी मेहनत, लगन व बुद्धि कौशल के लिए प्रसिद्ध अग्रवाल समाज के लोग जहां भी है वे सब उन्हीं महाराज अग्रसेन के वंशज हैं।
     वैश्य अग्रवाल परम्परा के पितृ पुरुष महाराज अग्रसेन कलयुग के प्रथम नरेश थे। महाराजा परिक्षित का राज्याभिषेक उनके पश्चात ही हुआ। ईशा से 3102 वर्ष पूर्व यानि आज से लगभग 5117 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र में जब महा भारत का समर आरम्भ हुआ उस समय बालक अग्रसेन किशोरावस्था में थे। यानि उनका जन्म आज से 5132-33 वर्ष पूर्व आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (प्रथम शारदीय नवरात्र के दिन) हुआ।
     इश्वाकु कुल के महाराज वल्लभदेव के पुत्र के रूप में जन्मे महाराज अग्रसेन का जीवन सदा लोक कल्याण में ही बीता। उन्होंने राज्य में शान्ति स्थापना हेतु क्षत्रिय वृत्ति को त्याग कर वैश्य वंश की स्थापना कर पशु-बलि की कुप्रथा का अन्त किया। रामचरित मानस की चौपाई जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी उनके राज्य का आदर्श था।
     वचपन से ही मेधावी और पराक्रमी अग्रसेन जी नारी सम्मान, सुरक्षा व परामर्श के पक्षधर थे। राज्य में अकाल पडने पर महारानी माधवी के परामर्श पर उन्होंने नहर खुदवा कर सूखी जमीन की प्यास बुझाई। गणतांत्रिक व्यवस्था के पक्षधर महाराज अग्रसेन ने राज्य के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली एक समिति बनाई जिसकी सहमति से ही राज्य के नियम व योजनाएं बनाई जाती थीं। यज्ञ में हिंसा का सर्वथा त्याग कर राज्य की प्रजा को केवल शुद्ध सात्विक व शाकाहारी भोजन की ओर लौटाया। मांसाहार को पूर्णत: निषेध घोषित कर अहिंसा और सत्य को राज्य का सबसे बढा धर्म बनाया। उनका मानना था कि राज्य की रक्षा का कार्य सिर्फ़ क्षत्रिय वर्ग तक सीमित न रहे अत: देश के हर नागरिक के लिए अनिवार्य शस्त्र शिक्षा देकर राष्ट्र रक्षार्थ सभी को सर्वथा तत्पर रहने के लिए प्रेरित किया। उनके राज्य में सभी को शस्त्र धारण करने का अधिकार था।
     समयानुसार युवावस्था में उन्हें राजा नागराज की कन्या राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में शामिल होने का न्योता मिला। उस स्वयंवर में दूर-दूर से अनेकों राजा और राजकुमार आए थे। यहां तक कि देवताओं के राजा इंद्र भी राजकुमारी के सौंदर्य के वशीभूत हो वहां पधारे थे। स्वयंवर में राजकुमारी माधवी ने राजकुमार अग्रसेन के गले में जयमाला डाल दी। यह दो अलग-अलग संप्रदायों, जातियों और संस्कृतियों का मेल था। जहां अग्रसेन सूर्यवंशी थे वहीं माधवी नागवंश की कन्या थीं।
     महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। उनका मानना था कि किसी भी चीज का घोर अभाव और लाचारी व्यक्ति को अपराध की ओर प्रेरित करती है। इसलिए उन्होंने अभाव मुक्त और शौर्य युक्त समाज का निर्माण किया।  अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले व्यक्ति की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक निवासी उसे एक रुपया व एक ईंट देगा, जिससे आसानी से उसके लिए निवास स्थान व व्यापार का प्रबंध हो जाए। महाराजा अग्रसेन ने वैदिक सनातन आर्य(अग्र) सस्कृंति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य के पुनर्गठन में कृषि-व्यापार, उद्योग, गौ-पालन के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया।
     महाराज ने अपने राज्य को 18 गणों में विभाजित कर अपने 18 पुत्रों को सौंप उनके 18 गुरुओं के नाम पर इन गोत्रों की स्थापना की। हर गोत्र अलग होने के बावजूद वे सब एक ही परिवार के अंग बने रहे। इसी कारण अग्रोहा भी सर्वंगिण उन्नति कर सका। राज्य के उन्हीं 18 गणों से एक-एक प्रतिनिधि लेकर उन्होंने लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना की, जिसका स्वरूप आज भी हमें भारतीय लोकतंत्र के रूप में दिखाई पडता है।
     उन्होंने परिश्रम और उद्योग से धनोपार्जन के साथ-साथ उसका समान वितरण और आय से कम खर्च करने पर बल दिया। जहां एक ओर वैश्य जाति को व्यवसाय का प्रतीक तराजू प्रदान किया वहीं दूसरी ओर आत्म-रक्षा के लिए शस्त्रों के उपयोग की शिक्षा पर भी बल दिया।   
     उस समय यज्ञ करना समृद्धि, वैभव और खुशहाली की निशानी माना जाता था। महाराज अग्रसेन ने बहुत सारे यज्ञ किए। एक बार यज्ञ में बली के लिए लाए गये घोडे को बहुत बेचैन और डरा हुआ पा उन्हें विचार आया कि ऐसी समृद्धि का क्या फायदा जो मूक पशुओं के खून से सराबोर हो। उसी समय उन्होंने अपने मंत्रियों के ना चाहने पर भी पशू बली पर रोक लगा दी। इसीलिए आज भी अग्रवाल समाज हिंसा से दूर ही रहता है।    
     महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज किया। उनके जीवन के मूल रूप से तीन आदर्श हैं- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, आर्थिक समरूपता एवं सामाजिक समानता। एक निश्‍चित आयु प्राप्त करने के बाद कुलदेवी महालक्ष्मी से परामर्श पर वे आग्रेय गणराज्य का शासन अपने ज्येष्ठ पुत्र विभु के हाथों में सौंपकर तपस्या करने चले गए।
     देश में जगह-जगह अस्पताल, स्कूल, बावड़ी, धर्मशालाएं आदि अग्रसेन के जीवन मूल्यों का आधार हैं और यह जीवन मूल्य मानव आस्था के प्रतीक हैं। आर्य यनि श्रेष्ठ शब्द से ही आगे सेठ शब्द बना जिस कारण अग्र बन्धुओं को सेठ भी बोला जाता है। स्वहित को परे रखकर जनहित के लिए समर्पित ऐसी महान विभूति को शत्‌-शत्‌ नमन‌।
    
पता : 329, संत नगर, पूर्वी कैलाश, नई दिल्ली-110065। चल दूरभाष : 9810949109

Saturday, March 28, 2015

रामलीला मैदान से निकली रामनवमी की विशाल शोभायात्रा

 प्रैस विज्ञप्ति


रामलीला मैदान से निकली रामनवमी की विशाल शोभायात्रा
राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर बन कर रहेगा : प्रवीण भाई तोगडिया
नई दिल्ली। मार्च 28, 2015। इन्द्रपस्थ विश्व हिन्दू परिषद् के तत्वावधान में हिन्दू पर्व समन्वय समिति, दिल्ली एवं दिल्ली की विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा श्रीराम नवमी के पावन अवसर पर रामलीला मैदान से गंगेश्वर धाम, करोल बाग तक विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में सौ से अधिक विभिन्न स्वरूपों की झांकियां एवं भजन मण्डलियां सम्मिलित थीं। सर्वप्रथम हनुमान ध्वज के साथ खुली जीप में विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी व प्रमुख संत भगवा साफा बांधे चल रहे थे। तत्पश्चात, हाथी, घोडे, ऊंट व बाइक सवारों के साथ श्रीराम धुन बजाते अनेक बैण्ड-बाजों के बीच विविध रूपों की सुन्दर झाँकियां चल रही थीं। संतों की अगुवाई में चली शोभायात्रा में इस बार बौद्ध भिक्षुओं की सहभागिता, योग, यज्ञ तथा स्वच्छ भारत की झांकियाँ, मार्ग में रंगोली, सवा सौ स्वागत द्वार, देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए पांच विशाल मंच, विद्यालय के छात्रों की प्रस्तुतियों के साथ महिला सशक्तिकरण की अनूठी पहचान दुर्गा वाहिनी की घुड़सवार टोली तथा बजरंग दल का शौर्य प्रदर्शन यात्रा आकर्षण के केंद्र रहे।           
यात्रा को भगवा झंडी दिखाकर रवाना करते हुए विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डा प्रवीण भाई तोगडिया ने कहा कि अयोध्या में राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर बन कर रहेगा. “मन्दिर वहीँ, अयोध्या में कोई नई मस्जिद नहीं तथा बाबर के नाम पर भारत में कहीं नहीं” के संकल्प के साथ अब मंदिर निर्माण के निश्चित मार्ग “संसदीय कानून” का समस्त हिन्दू समाज प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज राम नवमी के पावन दिन हम एक और संकल्प भी लें कि हम “छुआछूत मुक्त भारत” बनाएंगे. हम एक अनुसूचित जाति परिवार को मित्र बना कर “हिन्दू परिवार मित्र”, “हर गाँव में कुएं का पानी सब के लिए, मंदिर में प्रवेश सब के लिए, एक पंगत में भोजन सब के लिए तथा अंतिम संस्कार का स्थान सबके लिए” को सुनिश्चित करने हेतु काम करेंगे। हर जाति-विरादरी से मिलकर संतों के मार्ग दर्शन में छुआछूत मुक्त भारत बनाएंगे. दिल्ली के मेयर श्री योगेन्द्र चंदोलिया ने कहा कि प्रत्येक राजधानी वासी को भगवान श्री राम के जीवन का कम से कम एक गुण अवश्य धारण करना चाहिए।
उदघाटन अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् के उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पूज्य स्वामी राघवानन्द ज़ी महाराज, स्वामी अनुभूतानन्द जी, तथा हिन्दू पर्व समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री ब्रजमोहन सेठी महा मंत्री श्री राम पाल सिंह ने भी संवोधित किया.
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् - इन्द्रप्रस्थ के अध्यक्ष श्री रिखब चन्द जैन, महामंत्री श्री राम कृष्ण श्रीवास्तव, हिन्दू पर्व समन्वय समिति के महामंत्री श्री राम पाल सिंह यादव, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा के श्री मनोहर लाल कुमार, धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मांगेराम गर्ग, राष्ट्रवादी शिव सेना के अध्यक्ष श्री जयभगवान गोयल, दिल्ली संत महा-मंडल के महंत नवल किशोर दास, हनुमान वाटिका के पूज्य महंत श्री रामकृष्ण दास महात्यागी, श्री विवेक शाह जी महाराज, बजरंग दल दिल्ली के प्रान्त संयोजक श्री नीरज दोनेरिया, दुर्गा वाहिनी संयोजिका श्रीमती संजना चौधरी भी उपस्थित थे।
समिति के प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने बताया कि आज की इस भव्य शोभायात्रा में सनातन धर्म  प्रतिनिधि सभा, भारत स्वाभिमान मंच, पतंजलि योग पीठ, अग्रोहा विकास ट्रस्ट, भारत तिब्बत सहयोग मंच, सनातन संस्था, आर्य समाज, जैन समाज, वाल्मीकि समाज, रवि-दास समाज, बौद्ध समाज सहित विभिन्न मत-पंथ सम्प्रदायों व मन्दिरों की झांकियां विविधता में एकता के दर्शन करा रहीं थीं। यात्रा मार्ग में सवा सौ स्वागत द्वार, देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए पांच विशाल मंच तथा विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी बेहद मन-मोहक थी।
रामलीला मैदान से प्रारम्भ होने के पश्चात यात्रा का आसफ अली रोड, दरियागंज, चांदनी चौक, टाऊन हाल, खारी बावली, सदर बाजार, पहाडी धीरज, एम.एम. रोड, माडल बस्ती आदि क्षेत्रों में भव्य स्वागत हुआ। दोपहर दो बजे रामलीला मैदान से प्रारम्भ हुई यह विशाल यात्रा रात्रि लगभग 8.00 बजे गंगेश्वर धाम, करोल बाग में पूज्य स्वामी आनंद भास्कर जी महाराज के आशीर्वचन से सम्पन्न हुई।
भवदीय

विनोद बंसल, 

प्रवक्ता

विश्व हिंदू परिषद, दिल्ली 

9810949109



Ram Navami Shobha Yatra - 2015

                  


Press Release

Ram Navami Shobha Yatra


New Delhi. March 28, 2015
The procession of Shri Ram Navami was arranged with great zeal under the guidance of Indraprastha Vishwa Hindu Parishad by Hindu Parva Samanvaya Samitee and other religious, cultural, social & educational institutions of Delhi. More than hundred Jhankis (tabloids) & Bhajan Mandalis were decorated by devotees. Jhankis of Bhagwan Shri Ram killing the demons, Swachh Bharat, Yoga & Yagn were worth seeing. Rangoli, 125 welcome gates, five cultural stages performing cultural programes, Durga Vahini girls riding horses and Bajrang dal depicting youth strength were also the points of attraction enroute. Office bearers of different institutions were seen with saffron turban in an open jeep preceded by Shri Hanuman Dhwaja (flag) and followed by well decorated 21 horses and 51 odd bikes with band parties playing Sri Ram Dhun, singing and dancing.

International working president-VHP Dr. Pravin Bhai Togadia, vice president shri Om Prakash Singhal, Swami Raghawanand ji, swami Anubhutanand ji, president of the Hindu Parwa Samanwaya Samitee shri Brij Mohan Sethi, Gen sec. shri Ram Pal Singh Yadav, chairman Sanatan Dharm Pratinidhi Sabha shri Manohar Lal Kumar and other saints and dignatories ignited Lamps to inaugurate the procession.

Speaking on the occasion, Dr Togadia said that nobody in the world could stop us to build glorious temple on the birth place of lord Ram. We are firm on our stand “Mandir vahin, Ayodhya men nai maszid nahin aur Babar ke naam par Bhaarat men kahin nahin”(Temple at the birth place of lord Ram, No new mosque in Ayodhya and No mosque in the name of Babar in anywhere in Bharat). Hindus are waiting for the parliamentary law, which is the only way to build the glorious Ram Temple in Ayodhya, he added. We make “untouchable free Bharat” with the blessings of saints and with the cooperation of the leaders of different casts. The “Swarn Drishti path-2025” recently launched by VHP would prove a mile stone to eliminate untouchability from the country of lord Ram.

The President of Indraprastha Vishwa Hindu Parishad Shri Rikhab Chand Jain, General secretary shri Ram Krishna Srivastava, general secretary of Delhi Sant Mahamandal Mahant shri Naval Kishore das Ji Maharaj, Vivek Shah ji Maharaj, Ram Krishna Das Mahatyagi ji and the state convener of Bajrang Dal shri Neeraj Doneria along with number of Saints, sages and representatives of various organizations  have threw light on the incarnation of Bhagwan Shri Ram.

Yatra was started at 2Pm from Ram Leela Maidan and ended at Gangeshwar Dham Karol Bagh. Thousands of People gathered at various places such as Ashafali Road, Dariyaganj, Chandani Chowk, town hall, Bara tuti etc to welcome the Yatra.


REGARDS



VINOD BANSAL
(Spokesperson)
VISHWA HINDU PARISHAD Delhi
M - 98109 49109
ivhpmedia@gmail.com