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June 13,2012
पांडव कालीन मंदिर को लेकर हिंदू लामबंद
Updated on: Sun, 10 Jun 2012 02:37 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
पुराना किला स्थित हजारों साल पुराने पांडव कालीन मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जिस तरह तुड़वाने की तैयारी में है, इस पर हिंदू संगठनों ने रोष जताया है। विभाग के फैसले के खिलाफ उन्होंने हिंदुओं को लामबंद होने की अपील की है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि इस तरह की सूचना मात्र से परिषद के वी गणेशन, विश्व हिंदू महासंघ के अध्यक्ष व कालिका पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत, हिंदू महासभा के महंत जय राम भारती व चंद्र प्रकाश कौशिक, राष्ट्रवादी शिव सेना के जय भगवान गोयल, श्री राम सेना के सुनील त्यागी, दिल्ली विकास मंच के विनोद जैन समेत अन्य संगठनों के पदाधिकारी पांडव कालीन मंदिर पहुंच वहां सरकारी दमन चक्र के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे।
एक ओर जहां मंदिर के सामने हिंदुओं का विरोध-प्रदर्शन चल रहा था वहीं दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद ने एक आपातकालीन बैठक बुलाकर स्थिति की समीक्षा की और कुछ लोग दिल्ली उच्च न्यायालय में पुरातत्व विभाग के फैसले के विरुद्ध स्टे लेने पहुंच गए। परिषद के प्रदेश महामंत्री सत्येंद्र मोहन व अन्य हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि आखिर सरकारी तंत्र हिंदुओं के मान बिंदुओं पर चोट करने से कब बाज आएगा। इन्होंने सरकार को चेताया है कि वह हिंदू विरोधी मानसिकता से बाज आए अन्यथा राजधानी के हिंदू चुप नहीं बैठेंगे।
http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-9352914.html
दिल्ली में पांडव कालीन मंदिर तोड़ने की 'कोशिश' नाकाम
नई दिल्ली।। राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक पुराना किला स्थित पाण्डव कालीन कुन्ती मन्दिर को कथित तौर पर तोड़े जाने के सरकारी आदेश से इस इलाके में दिन भर गहमा गहमी रही। मंदिर बचाने के नाम पर इकट्ठा हुई भीड़ कथित सरकारी आदेश से नाराज थी। आखिरकार, मंदिर में किसी भी तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई पर हाईकोर्ट का स्टे आ जाने के बाद यह मामला सुलझा और भीड़ वापस लौटी।
विश्व हिंदू परिषद, दिल्ली के मीडिया प्रमुख विनोद बंसल ने बताया कि शनिवार को मंदिर में बड़ी संख्या में पुलिस बल पंहुचने की खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गई। देखते-देखते वहां अच्छी खासी भीड़ इकट्ठा हो गई। वीएचपी के वी गनेशन, विश्व हिन्दू महासंघ के अध्यक्ष और कालिका पीठाधीश्वर महन्त सुरेन्द्र नाथ अवधूत, हिन्दू महा सभा के महन्त जय राम भारती और श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक के अलावा राष्ट्रवादी शिव सेना के जय भगवान गोयल, श्री राम सेना के सुनील त्यागी, खटीक चर्मकार वाल्मीकि सेना के सुभाष चन्द्र, दिल्ली विकास मंच के विनोद जैन सहित अनेक संगठनों के पदाधिकारी अपने दल-बल के साथ पंहुच गए और सरकारी दमन चक्र के विरुद्ध नारे बाजी करने लगे।
एक ओर जहां मन्दिर के सामने हिन्दुओं का विरोध प्रदर्शन चल रहा था वहीं दूसरी ओर वीएचपी ने एक आपातकालीन बैठक बुला कर स्थिति की समीक्षा की और कुछ लोग दिल्ली उच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध स्टे लेने पंहुच गए। शाम साढे चार बजे जब स्टे ऑर्डर घटना स्थल पर पहुंचा तब जाकर लोगों की जान में जान आई और अधिकारी व प्रदर्शनकारी अपने अपने घरों को लौटे।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/13972418.cms
प्राचीन मंदिर को तोड़ने गए दस्ते को बैरंग लौटाया
(10:03:26 PM) 09, Jun, 2012, Saturday
नई दिल्ली ! | दिल्ली के ऐतिहासिक पुराने किले के निकट स्थित पांडवकालीन कुंती मंदिर शनिवार को स्थानीय लोगों के भारी विरोध के चलते टूटने से बच गया। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के कुछ अधिकारी इस मंदिर को पुलिस के संरक्षण में तोड़ना चाहते थे। विरोध प्रदर्शन की अगुवाई विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की दिल्ली इकाई ने की। विहिप (दिल्ली) के मीडिया प्रभारी विनोद बंसल ने बताया कि अधिकारियों के भारी पुलिस बल के साथ कुंती मंदिर पर पंहुचने की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग बड़ी संख्या में जुट गए और उन्होंने ऐतिहासिक मंदिर को तोड़ने का विरोध किया।
उन्होंने बताया कि कुछ देर बाद विहिप सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी अपने दल-बल के साथ पंहुच गए और उन्होंने अधिकारियों व पुलिस बल को बैरंग लौटने पर विवश कर दिया।
बंसल ने बताया कि विहिप ने एक आपातकालीन बैठक बुलाकर स्थिति की समीक्षा की और कुछ लोग दिल्ली उच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध स्थगनादेश लेने पहुंच गए। शाम साढ़े चार बजे जब स्थगनादेश घटनास्थल पर पहुंचा तब अधिकारी व प्रदर्शनकारी अपने अपने घरों को लौट गए।
विहिप (दिल्ली) के महामंत्री सत्येंद्र मोहन ने कहा, "देश की राजधानी में सर्वोच्च न्यायालय के बिल्कुल पास स्थित पांडवकालीन मंदिर पर भी यदि सरकरी हथौड़ा चलेगा तब हिंदुओं का कौन-सा आस्था स्थल सुरक्षित रह सकेगा, कहना कठिन है।"
उन्होंने सरकार को चेताया कि वह आस्था स्थलों को तोड़ने से बाज आए, अन्यथा राजधानी के लोग चुप नहीं बैठेंगे और अपने आस्था स्थलों की सुरक्षा के लिए वे सड़कों पर उतरेंगे।
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