Thursday, June 20, 2013

मन्दिर बचाने हेतु मुख्यमंत्री से मिले हिन्दू संगठन, दिया ज्ञापन



नई  दिल्ली जून 20, 2013. दर्जनों हिन्दू मंदिरों को सरकार द्वारा तोडे जाने की खबर व 22 मई, 2013 के दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस सम्बन्ध  में दिए गए आदेश से आहात हिन्दू संत व हिन्दू नेता आज मुख्य मंत्री श्रीमती शीला दीक्षित से मिले और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। महा मंडलेश्वर स्वामी राघवानंद, महंत नवल किशोर दास व  हिन्दू धर्म स्थल रक्षा समिति दिल्ली के अध्यक्ष श्री ब्रज मोहन सेठी की अगुवाई में गए प्रतिनिधि मंडल की बात सुन कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की मुख्यमंत्री ने तुरंत अपने मुख्य सचिव से फोन पर बात की तथा  किसी भी धर्म स्थल को न तोडे जाने का आदेश दिया। उन्होंने संतों व अन्य हिन्दू धर्मावालम्वियों को आश्वस्त भी किया कि एक भी धर्म स्थल को हम नहीं टूटने देंगे।
हिन्दू धर्म स्थल रक्षा समिति के प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने ज्ञापन की प्रति मीडिया को जारी करते हुए बताया कि हमने मुख्य मंत्री महोदया को यह भी बताया है कि आपकी सरकार की ओर से जो सूची माननीय उच्च न्यायालय को दी गई  है वह बहुत ही अस्पष्ट, अपूर्ण, संशयकारी तथा धार्मिक भेद-भाव से परिपूर्ण है। 74 में से जिन 40 धर्मस्थलों को तुरंत तोड़ने की संस्तुति आपकी सरकार ने की है उनमें 36 हिंदू मंदिर हैं जबकि 34 धर्मस्थलों वाली दूसरी सूची जिसको तोड़े जाने में संशय व्यक्त किया गया है उनमें अधिकांश धर्मस्थल गैर हिंदू हैं।
समिति के महा मंत्री श्री रामपाल सिंह यादव ने कहा कि भगवान राम के इस देश में पुरातन काल से ही शासन प्रशासन द्वारा कुंआ, बावडी, तालाब   क्रीडास्थलों के साथ जनता के मानसिक व आध्यात्मिक विकास हेतु भव्य मंदिरों के बनाये जाने व उनको भरपूर दान दिए जाने की परिपाटीरही हैं। देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने तो स्वयं खड़े होकर सरकारी पैसे से सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मंदिर ज्ञान, आध्यात्म और मानसिक शांति के प्रमुख केंद्र होते हैं और राजधानी की भागम-भाग व टेंशन भरी जिंदगी के लिये इनका विशेष महत्त्व है।
प्रतिनिधि मंडल में विहिप दिल्ली के उपाध्यक्ष सरदार उजागर सिंह, हिन्दू महा सभा के स्वामी ओउम जी व श्री दिनेश त्यागी, अखिल भारतीय मंदिर प्रवन्धक परिषद के श्री अनिल गुप्ता, एडवोकेट रिक्षपाल व एडवोकेट एस डी बिन्दलेश के अलावा अनेक पीड़ित मंदिरों के प्रतिनिधि सामिल थे। 

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