Sunday, July 28, 2013

एक ओर गोली चलाई तो दूसरी ओर लाठी की भी मनाही। क्या यही है सरकार की धर्म निरपेक्षता?


नई दिल्ली जुलाई 28, 2013। शव ए बारात वाली तेईस जून की रात्रि को जब पांच हजार से अधिक बाईक सवार दिल्ली के दिल इँडिया गेट पर उत्पात मचाते हुए माता-बहिनों की सरे आम इज्जत लूटने की कोशिश करते है, राहगीरों को प्रताडित कर पुलिस पर हमला करते हैं पर दिल्ली पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है जबकि, मुट्ठीभर बाइकर्स का पीछा करते हुए गोली चलाकर युवकों को पुलिस द्वारा ढेर कर दिया जाता है। क्या यही था इनका कसूर कि इनके सिर पर सफ़ेद टोपी नहीं थी और उन पर थी? विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली के महा मंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन ने घटना की न्यायिक जांच की मांग करते पूछा है कि क्या यही है दिल्ली सरकार का असली पंथ-निरपेक्ष चेहरा? विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख श्री विनोद बंसल ने बताया कि विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली सरकार की दोगली नीति के परिणाम स्वरूप हुई इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए मांग करती है कि दिल्ली की सरकार कम से कम पुलिस व प्रशासन को अपने सांप्रदायिक एजेण्डे का शिकार न होने दे। विहिप का कहना है कि हजारों की संख्या में मुस्लिम युवक जब उत्पात मचाएं, पुलिस पर हमला करें, मात बहिनों की इज्जत लूट राहगीरों को आतकित करें तो गृह मंत्रालय, उप-राज्यपाल कार्यालय तथा पुलिस मुख्यालय से जवानों को संयम बरत डांडा भी उठाने की मनाही कर दी जाती है जबकि चंद हिन्दू युवकों के इण्डिया गेट से भाग जाने पर भी पीछा करते हुए गोली से मार दिया जाता है। यह सरकार द्वारा प्रायोजित सांप्रदायिक नहीं तो और क्या है? विहिप ने घायल युवक के परिजनों से मिलने के बाद यह भी मांग की है कि युवक व उसके परिजनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

No comments: