Tuesday, March 27, 2012

गौ मांस निर्यात खोलने से संविधान और धर्म दोनों की होगी हत्या : विहिप

गौमांस निर्यात के खिलाफ़ हिन्दू लामबन्द(राजधानी के प्रमुख संगठनों की बैठक में निंदा प्रस्ताव पारित, आन्दोलन की चेतावनी)

नई दिल्ली फ़रवरी 19, 2012। भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा गऊ मांस के निर्यात की संस्तुति से आहत दिल्ली के प्रमुख धार्मिक व सामाजिक संगठन आज लामबन्द नजर आए। सभी ने एक स्वर से प्रस्ताव पारित कर सरकार की थू-थू करते हुए इसे हिन्दुओं की आस्था पर चोट व देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ़ एक घिनौना षडयंत्र करार दिया। लगभग एक दर्जन से अधिक प्रमुख हिन्दुवादी व राष्ट्र प्रेमी गौ भक्तों के संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों तथा पूज्य संतों ने सरकार को चेतावनी भरे स्वर में कहा कि यदि सरकार गऊ माता की हत्या पर उतारू रहती है तो देश भर में एक ऐसा लोकतांत्रिक अलख जगाएंगे कि यूपीए सरकार तो क्या इसको समर्थन देने वाले भी धराशायी नजर आएंगे।वैठक की जानकारी देते हुए विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख श्री विनोद बंसल ने बताया कि दिल्ली के झण्डेवाल देवी मन्दिर के सभागार में आज प्रात: से ही बैठक में आने वाले गौ भक्तों के माथे पर गौमांस निर्यात को लेकर चिन्ता साफ़ नजर आ रही थी। पूज्य संतों की अध्यक्षता में भारतीय गौवंश रक्षण एवं संवर्धन परिषद दिल्ली द्वारा बुलाई गई इस बैठक में जब सबने अपनी-अपनी बात रखी तो उपस्थित गौ भक्त सरकार के इस ह्रदयवेधक कार्य के खिलाफ़ आपने क्रोध को रोक न सके। उनकी भाषा शैली में आहत भावनाओं का समावेश स्पष्ट नजर आ रहा था। सभी ने एक स्वर से प्रस्ताव पारित कर सरकार से आग्रह किया कि अपने पशुपालन विभाग व योजना आयोग को तुरन्त निर्देश दे कि वे गौ मांस निर्यात संबन्धी अपने प्रस्ताव को अविलम्ब निरस्त कर देश के सौ करोड हिन्दुओं व क्रषि पर आधारित जनता से माफ़ी मागे अन्यथा इसके गम्भीर लोकतांत्रिक परिणाम भुगतने पडेंगे। यह भी तय किया गया कि यदि सरकार नहीं चेती तो हम न्यायालय की शरण में भी जाएंगे।भारतीय गौवंश रक्षण एवं संवर्धन परिषद के प्रान्त महामंत्री श्री लवकेश गौड द्वारा बुलाई गई इस बैठक को परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंहल, प्रदेश अध्यक्ष डा राकेश रंजन, विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय गौ रक्षा प्रमुख श्री खेम चन्द, क्षेत्रीय गौरक्षा प्रमुख श्री राष्ट्र प्रकाश, प्रान्त उपाध्यक्ष सरदार उजागर सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री परमानन्द मित्तल, राष्ट्रीय गौधन महा संघ के श्री विजय खुराना, हिन्दू महा सभा के डा संतोष राय, हरियाणा राज्य गौ शाला संघ के श्री हरिओम तायल, राष्ट्रीय सिक्ख संगत के सरदार रविरंजन सिंह, गायत्री परिवार के श्री विजय, दिव्य योग जाग्रति मिशन की श्रीमति प्रेम लता अरोडा, वानर सेना के श्री संजीव राठौड, आर्य समाज के स्वामी सत्य बन्धु सरस्वती, भाजपा के गौवंस विकास प्रकोष्ठ के श्री यश पाल गुप्ता, भारत गौ सेवक समाज के श्री सुखवीर सैनी, जैन समाज के श्री ओम प्रकाश जैन, अखिल भारत हिन्दू महा सभा के डा डी के कपूर व लव फ़ोर काऊ के श्री सुरेन्द्र सिंह के साथ संतों में बाबा नन्द किशोर मिश्र, डा राधाकान्त वत्स, जैनाचार्य श्री प्रमोद मुनि व बाबा रघुवर शरण दास सहित अनेक गौ भक्तों ने संबोधित किया।

गौ मांस निर्यात खोलने से नाराज विहिप ने भेजा प्रधान मंत्री को पत्र (योजना आयोग को भी चेताया, कहा गौ मांस का निर्यात घिनौनी करतूत)

नई दिल्ली फ़रवरी 17, 2012। विश्व हिन्दू परिषद ने भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा गऊ मांस के निर्यात को खोले जाने की संस्तुति पर अपनी कडी आपत्ति दर्ज करते हुए प्रधान मंत्री डा मनमोहन सिंह को एक पत्र भेजा है। विहिप के वरिष्ठ सलाहकार श्री अशोक सिंहल, उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल व अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री श्री चंपत राय द्वारा हस्ताक्षरित यह ज्ञापन प्रधान मंत्री के साथ योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलूवालिया को भी भेजा गया है। ज्ञापन में यह मांग की गई है कि सौ करोड से अधिक भारतीयों की आस्था व विश्वास का केन्द्र, देश की क्रषि आधारित अर्थव्यवस्था की नींव, पर्यावरण की रक्षक व संविधान तथा न्यायालयों के निर्णयानुसार संरक्षित गऊ माता के मांस के निर्यात संबन्धी घ्रणित प्रस्ताव को अविलम्ब निरस्त किया जाए। पत्र की प्रति मीडिया को जारी करते हुए विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख विनोद बंसल ने बताया कि बारहवीं पंच-वर्षीय योजना (2012-2017) के लिए भारत सरकार के पशुपालन व डेयरी विभाग के वर्किंग ग्रुप ने योजना आयोग को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसके अध्याय -12 के पैरा 12-3-1 के अन्तर्गत यह कहा गया है कि “वर्तमान में गऊ मांस निर्यात पर प्रतिवन्ध है; अत: आयात निर्यात नीति में आवश्यक संशोधन कर गऊ मांस के निर्यात की स्वीक्रति दी जाए”। इस प्रस्ताव पर अपनी कडी आपत्ति दर्ज करते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने प्रधान मंत्री को लिखा है कि देश की हरित क्रांति व स्वेत क्रान्ति का आधार, गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज तथा छत्रपति शिवा जी महाराज के “गऊ, गरीव और धर्म” के संदेश, महात्मा गांधी के गऊ रक्षा के संकल्प, नामधारी समाज के गऊ रक्षार्थ बलिदान को सदा याद रखते हुए ऐसे शर्मनाक, बेहूदे व दुखदायी प्रस्ताव को वे तुरन्त निरस्त करें। ज्ञापन में संविधान के अनुच्छेद 48 में निहित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में गऊबंस की रक्षा के संकल्प, अनुच्छेद 51ए(1)(जी) में निहित प्राणियों के प्रति करुणा भाव संवंधी मौलिक कर्तव्यों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के गुजरात सरकार वनाम मिर्जापुर मोती कुरेशी कसाब जमात व अन्य के संम्बन्ध में दिए गये निर्णय का जिक्र भी किया गया है जिसमें केन्द्र सरकार को, गऊ मांस निर्यात से होने वाली हानियों का वर्णन करते हुए, इस पर रोक लगाने को कहा गया था। विहिप ने चेताया है कि यदि इस प्रस्ताव को तुरन्त निरस्त नहीं किया गया तो संतों के नेतृत्व में हिन्दू समाज सडकों पर उतरने को मजबूर होगा।

गौ मांस निर्यात खोलने से संविधान और धर्म दोनों की होगी हत्या : विहिप

(केन्द्र के पशुपालन विभाग ने कहा गौ मांस निर्यात पर प्रतिबन्ध हटे, हिन्दू समा्ज में आक्रोश )

नई दिल्ली फ़रवरी 7, 2012। विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संगठन महा मंत्री श्री दिनेश चन्द्र ने भारत सरकार के पशुपालन व डेयरी विभाग द्वारा योजना आयोग को गौ मांस निर्यात पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने सम्बन्धी रिपोर्ट पर अपनी कडी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है इससे न सिर्फ़ गौबंस की वल्कि संविधान व धर्म दोनों की भी हत्या होगी। उन्होंने चेताया कि इससे पूर्व कि देश का जन मानस सडकों पर उतरे यूपीए सरकार इस रिपोर्ट को अविलम्ब वापस लेकर देश की जनता से माफ़ी मांगे। विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख विनोद बंसल ने बताया कि राजधानी दिल्ली के संतों के संगठन दिल्ली संत महा मण्डल के एक अधिवेशन को संबोधित करते हुए विहिप के संगठन महा मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में निहित राज्य के नीति निर्देशक सिध्दांत गौवंस की हत्या को पूरी तरह प्रतिबन्धित करते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक न्यायालयों व सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों में भी गौबंस की हत्या व गौमांस निर्यात पर रोक लगाई जा चुकी है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद, पं मदन मोहन मालवीय, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी राम क्रष्ण परमहंस, स्वामी दयानन्द सरस्वती, देव राहा बाबा, गोस्वामी तुलसी दास, महर्षि वाल्मीकि व महात्मा गौतम बुद्ध जैसे अनेक महा पुरुषों ने हमेशा गौ हत्या बंदी व गौ संवर्धन पर बल दिया था। लोकमान्य बाल गंगा धर तिलक ने तो यहां तक कहा कि “चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ मत उठाओ”। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम और गोपाल क्रष्ण के इस देश में केन्द्र सरकार का यह रवैया हिन्दू समाज के लिए असहनीय है। क्रषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पशुपालन व डेयरी विभाग के कमिश्नर द्वारा योजना आयोग को यह लिखा जाना कि “इस समय गौ मांस निर्यात पर प्रतिबन्ध है अत:यह आवश्यक है कि देश की आयात-निर्यात नीति में बदलाब कर गौ मांस निर्यात को खोला जाय”, बहुत ही गंभीर मामला है। इसे कदापि बर्दास्त नहीं किया जा सकता है। अधिवेशन में दिल्ली संत महा मण्डल के अध्यक्ष स्वामी प्रज्ञानन्द, महामण्डलेश्वर स्वामी राघवानन्द, महामंत्री महन्त नवल किशोर दास व विहिप दिल्ली के उपाध्यक्ष ब्रज मोहन सेठी सहित संतों ने भाग लिया।

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