Monday, September 10, 2012

प्रेस वक्तव्य

सुभाष पार्क का अवैध निर्माण -सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती : डा सुरेन्द्र जैन

दिल्ली के सुभाष पार्क में मुस्लिम समाज के एक असामाजिक वर्ग द्वारा निर्बाध रूप से किये गए अवैध निर्माण के सामने न केवल दिल्ली का पुलिस प्रशासन अपितु सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था ही लाचार सिद्ध हो रही है| यह आरोप लगाते हुए विश्व हिंदू परिषद् के राष्ट्रीय प्रवक्ता और केन्द्रीय मंत्री डा. सुरेन्द्र कुमार जैन ने आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अब यह फिर सिद्ध हो चुका है कि दिल्ली की पुलिस उन्मादी जेहादियों के आगे पंगु सिद्ध हो रही है| १३ जुलाई से २० जुलाई तक पुलिस को बार-बार सूचना देने के बावजूद उन्होंने इस अवैध निर्माण को रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की| २० जुलाई को मा. उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बाद इनको कार्यवाही के लिए मजबूर होना पड़ा| परन्तु २१ जुलाई को ७०० से अधिक पुलिस बल और १०० से अधिक अन्य अधिकारी लगभग २०० जेहादियों के सामने लाचार बन गए| जेहादियों की भीड़ ने न केवल सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नष्ट किया अपितु पुलिस बल को भी दौड़ा-दौड़ा कर निर्ममतापूर्वक मारा| इसके बावजूद शोएब इकबाल के भड़काने पर हिंसा करने वाली भीड़ पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई और न ही उस अवैध निर्माण को वहा से हटाया गया| ३० जुलाई को अवैध निर्माण को हटाने के लिए मा. उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद तात्कालिक परिस्थितियों का बहाना बनाते हुए दिल्ली पुलिस कोई भी कार्यवाही करने से कतरा रही है| यह बहाना उस समय क्यों नहीं काम आया जब मीरा बाग़ के एक मंदिर को तोड़ने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल को भेजा गया? ऐसा लगता है कि हिन्दुओ के ऊपर शेर बनने वाली दिल्ली पुलिस मुस्लिम समाज के सामने भेड बन जाती है| शायद इसी का दुष्परिणाम है कि इन जेहादियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वे किसी भी बहाने से पुलिस और हिंदू समाज को निशाना बना कर आतंकित करने से नहीं चूकते| नांगलोई और मयूर विहार की घटनाए इसके ज्वलंत उदाहरण है| यह दिल्ली पुलिस का नाकारापन ही है कि वे अब कहने लगे है "शोएब इकबाल स्वयम इस अवैध निर्माण को हटाए| " जबकि शोएब इकबाल इस दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण के अपराधी है और इनके खिलाफ मा. उच्च न्यायालय ने काफी तीखी टिप्पणिया भी की हैं|

अब ऐसा लगता है कि पंगु बन गई दिल्ली पुलिस के बाद अब मा. न्यायपालिका भी अपने ही निर्णयों को लागू कराने में संकोच करने लगी है| पहले २० जुलाई के निर्णय का पालन समय रहते नहीं किया गया और अब उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कर इस अवैध निर्माण को नहीं हटाया जा रहा है जबकि इस आदेश को पारित किये हुए 37 दिन बीत चुके है| भारतीय लोकतंत्र में विधायिका और कार्यपालिका निहित स्वार्थो के कारण इन तत्वों के हाथ की कठपुतली बन चुके है| देश को केवल न्यायपालिका से ही आशा है| यदि वहाँ से भी हताश होना पड़ा तो न्यायव्यस्था के प्रति ही विश्वास समाप्त हो जाएगा जिसके परिणाम कभी भी अच्छे नहीं हो सकते|

इस घटना के बाद मुस्लिम नेतृत्व का भी दोगलापन सामने आता है| रामजन्मभूमि के मामले में वे बार-बार न्यायपालिका का आदेश मानने की बात करते थे| उस मामले में निर्णय आने के बाद उन्होंने मा. न्यायाधीशो के ऊपर ही प्रश्न खड़े करने शुरू कर दिए थे| अब इस मामले में न्यायपालिका के स्पष्ट निर्देश की बावजूद वे इन आदेशो की धज्जी उड़ाने पर तुले है| अब यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि उनकी न संविधान में आस्था है और न देश की न्यायपालिका में| वे अपने एजेंडे पर काम कर रहे है और जो उनको ठीक लगे वे केवल उस बात को मानते है|

अब ऐसा लगता है कि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर इनके हाथ की कठपुतली बन चुके है| परन्तु देश की जनता हाथ पर हाथ रखकर न्यायव्यवस्था को इन तत्वों के हाथ में गिरवी रखते हुए नहीं देख सकती| यदि इन्होने इस घटना के लिए जिम्मेदार अपराधियों को पकड़ कर इन पर इन पर कड़ी कार्यवाही नहीं की और इस अवैध निर्माण को नहीं तोडा तो २४ सितम्बर को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर का घेराव किया जाएगा| इसके बाद भी अगर वे नहीं चेते तो इस अवैध निर्माण को बजरंग दल स्वयं तोड़ देगा|

जारी कर्ता :
अनिल अग्रवाल
विश्व संवाद केंद्र
संपर्क : 9958443884 / 9810949109

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